Jul 1, 2014

तुम और शब्द!


आज फिर शब्दों का दामन थामने
को मन मचला है
कहीं तुम्हें ही तो दिल ने नहीं
याद किया है!

साँसों में भरकर
खुशबू स्याही की,
खत तुम्हारे ही नाम शायद
लिखा जा रहा है!

हरी दूब से कोमल
कागज़ पर उकेरा शब्द
कहीं तुम्हारी ही सीरत
तो नहीं सजा रहा है!

दिन बहुत बीते
बीते कई वर्ष
न रुकता है, न थमता है
यह रिश्ता
तुम्हारा और मेरे शब्दों का!


Image Courtesy: Google Images

2 comments:

  1. Kya baat!!!
    ye sabdo se rista lifelong bna rhe !!! :)

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  2. बहुत नाज़ुक अहसासों के साथ लिखी रचना ।

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