Jan 29, 2012

चाँद और तुम!

चाँद को पाना संभव है शायद
और तुम्हे?

चाँद को छूने की ख्वाइश,
सितारों को करीब से देखने की आरजू
थी दिल में
मगर एहसास-ए-बुलंदी नहीं थी
की मुमकिन हो ऐसा,
तभी मिली मै तुमसे
और भूल गयी सब चाँद-सितारे
रम गयी तुम्हारी ख्वाइश में ऐसे
लेकिन जब आँख खुली
समझ आया
उन्हें पाना संभव है शायद
और तुम्हे?

मन का दरिया
श्वेत कमल सा रंग लिए
तुम्हारी ओर बह रहा था जोरों से,
आसमान के चाँद का अक्स
देखा करता था अपने आईने में
इठलाता था तुम्हे पाने की आस में
लेकिन जब संगीत ख़त्म हुआ और
जिंदगी ने नाच नचाया
बिन सवाल ही जवाब आया
चाँद का अक्स और चाँद खुद ही पाना
संभव है शायद
और तुम्हे?

I came across this beautiful expression today for the first time- 'I love you to the Moon & Back' . Isin't a lovely statement to say & feel, so here I am with my latest words. 

8 comments:

  1. your composition is better than the one you found!!! lovely and awesome to say the least!

    ReplyDelete
  2. Love these lines -
    "चाँद को छूने की ख्वाइश,
    सितारों को करीब से देखने की आरजू
    थी दिल में
    मगर एहसास-ए-बुलंदी नहीं थी
    की मुमकिन हो ऐसा,
    तभी मिली मै तुमसे
    और भूल गयी सब चाँद-सितारे
    रम गयी तुम्हारी ख्वाइश में ऐसे"

    Lovely read!

    ReplyDelete
    Replies
    1. Thanks Saru. I hope you enjoyed other lines too ;-)

      Delete
  3. -Nice blog sharing information

    ReplyDelete
    Replies
    1. Thanks for stopping by on my blog and commenting.

      Delete
  4. बेह्द खूबसूरत दिल मे उतर जाने वाली रचना……………सुन्दर भाव संयोजन्।

    ReplyDelete